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गीता प्रेस, गोरखपुर >> प्रत्यक्ष भगवद्दर्शन के उपाय

प्रत्यक्ष भगवद्दर्शन के उपाय

जयदयाल गोयन्दका

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2002
पृष्ठ :219
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 974
आईएसबीएन :00000

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भगवद्भक्ति का मार्ग ज्ञानयोग, अष्टांगयोग, कर्मयोग आदि सभी साधनों की अपेक्षा उत्तम और सुगम होने से बालक-वृद्ध, स्त्री-शूद्र आदि सभी के लिये सरल है। इस दृष्टि से यह संग्रह सर्वसाधारण के लिये परम उपयोगी है।

Pratyaksha Bhagvaddarshan ke upaya-Bhaktiyog Ka Tattva Bhag-1 -A Hindi Book by Jaidayal Goyandaka - प्रत्यक्ष भगवद्दर्शन के उपाय - जयदयाल गोयन्दका

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

।।श्रीहरि:।।

निवेदन

जिस प्रकार ज्ञानयोग, कर्मयोग और प्रेमयोग संबंधी लेखों की पृथक्-पृथक् तीन पुस्तकें प्रकाशित की गयी थीं, वैसे ही कई प्रेमी भाइयों के विशेष आग्रह से मेरे भक्ति संबंधी लेखों का संग्रह तैयार किया गया है। इन लेखों में भक्त के स्वरूप, महिमा और रहस्य का, भक्तों के लक्षण, महिमा और प्रभाव का; नाम-जप, ध्यान, स्मरण, भगवान् के नाम, रूप, लीला, धाम, गुण प्रभाव, तत्त्व, रहस्य और स्वभाव आदि भक्तिविषयक परमोच्च भावों को भलीभाँति निरूपण किया गया है।
भगवद्भक्ति का मार्ग ज्ञानयोग, अष्टांगयोग, कर्मयोग आदि सभी साधनों की अपेक्षा उत्तम और सुगम होने से बालक-वृद्ध, स्त्री-शूद्र आदि सभी के लिये सरल है। इस दृष्टि से यह संग्रह सर्वसाधारण के लिये परम उपयोगी है। ये लेख विभिन्न अवसरों पर लिखे हुए होने के कारण इनमें एक ही बात कई बार भी आ गयी है; किन्तु इसमें इसलिए आपत्ति नहीं समझनी चाहिए कि भक्तिविषयक एक बात एक बार पढ़ लेने मात्र से ही वह सबके हृदयंग्म नहीं हो पाती, अतएव उसे बार-बार पढ़कर और समझकर काम में लाने की आवश्यकता है।
इन लेखों के भाव भगवान् के, भगवद्भक्तों के और सत्-शास्त्रों के वचनों आधार पर ही लिखे हुए हैं; इसलिए इनके अनुसार जो कोई भी अपना जीवन बनावें उनको भगवत्प्राप्ति होने में कोई संशय नहीं है। मेरी सभी पाठकों से विनम्र प्रार्थना है कि वे इस संग्रह से विशेष लाभ उठाने की कृपा करें।

विनीत
जयदयाल गोयन्दका

नोट- संवत् 2050 से ‘भक्तियोग का तत्त्व’ दो भागों में प्रकाशित की गयी है-
1.    प्रत्यक्ष भगवद्दर्शन के उपाय
2.    भगवान् के स्वभाव का रहस्य

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